…ईश्वर के सत्यस्वरूप ओषधि के समान रसमय

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वेद विचार
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ईश्वर सुप्रसिद्ध है। वेद एवं वैदिक साहित्य से ईश्वर के सत्यस्वरूप एवं गुण, कर्म व स्वभाव का बोध होता है। ईश्वर कर्म करने में शीघ्रतायुक्त, दुखों का भंजक, प्रकाश किरणों से अलंकृत अर्थात् तेजस्वी, चंद्रमा के समान आह्लादक, आनंद रस से आर्द्र करने वाला तथा सोम ओषधि के समान रसमय है।

परमात्मा के सत्य स्वरूप को जानने वाले वैदिक निष्पक्ष विद्वान परमात्मा की निकटता को प्राप्त होते हैं और उनके सभी मनोरथ सिद्ध व पूर्ण होते हैं। सभी को ईश्वर की शरण में आना चाहिए उसकी उपासना से अपना जीवन सुखों से युक्त एवं सफल करना चाहिए।

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-प्रस्तुतकर्ता मनमोहन आर्य।

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