मधुमेह, आंत्रज्वर ( Typhoid ), घाव, रक्तशोधक व खुजली में लाभ
सुखाकर मधुमेह ( Diabetes ) – इसके रोगी को नारंगी कम मात्रा में कभी – कभी दे सकते हैं।
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आंत्रज्वर ( Typhoid ) – नारंगी गर्मी, ज्वर और अशान्ति दूर करती है। रोगी को दूध में नारंगी का रस मिलाकर पिलायें, नारंगी खिलाएँ। दिन में कई बार नारंगी खाएँ। रोगी को नारंगी खिलाकर दूध पिलायें। इससे ऊष्मा कम होती है, मूत्र एवं मल खुलकर आता है।
प्यास – प्यास अधिक लगने पर नारंगी खाने से प्यास कम होती है।
घाव – नारंगी खाने से घाव जल्दी भरते हैं।
रक्तशोधक- नारंगी रक्त की सफाई करती है।
खुजली— नारंगी के छिलके पानी के साथ पीसकर खुजली वाले अंगों पर मलकर लेप करें। एक घण्टे बाद धोयें पुरानी खुजली व तेज चलने वाली खुजली में लाभ होगा। नारंगी खायें व रस भी पियें। नारंगी के सूखे छिलकों का पाउडर मलने से भी लाभ होता है।