नदिया ( नवद्वीप ): चैतन्य महाप्रभु की जन्मभूमि और कर्मभूमि

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नदिया ( नवद्वीप ): चैतन्य महाप्रभु

nadiya ( navadveep ): chaitany mahaaprabhu kee janmabhoomi aur karmabhoomiनदिया ( नवद्वीप ): गंगा की शाखा भागीरथी के तट पर पश्चिम बंगाल में स्थित नवद्वीप या नदिया पूर्वभारत में प्राचीन विद्यापीठ तथा वैष्णव संप्रदाय के विकास का केंद्र बिंदु रहा है। नदिया चैतन्य महाप्रभु की जन्मभूमि और कर्मभूमि भी रही है। यह सुप्रसिद्ध वैष्णव तीर्थ के रूप में विकसित हुआ है।

प्राचीनकाल में नालंदा, विक्रमशिला तथा मिथिला जैसे विद्या केंद्रों की परंपरा में यहां विद्यापीठ की स्थापना हुई थी, जहां वासुदेव सार्वभौम, रघुनाथ, मुरारीगुप्त तथा नीलांबर चक्रवर्ती जैसे प्रकांड विद्वानों ने अनेक प्रसिद्ध धर्मग्रंथों का लेखनकार्य किया। दसवीं सदी से ही बंगाल और उत्कल ( उड़ीसा ) में वैष्णव संप्रदाय का विकास आरंभ हो चुका था। इसकी पराकाष्ठा पंद्रहवीं सदी में चैतन्य के जन्म ( 1407 ) के समय हुई। नदिया के प्रमुख विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर विवाह के उपरांत वे गया पधारे तथा माधव संप्रदाय के ईश्वरपुरी से दीक्षा लेकर कृष्ण भक्ति में रम गए। भक्ति संगीत से पूर्ण कृष्ण कार्तन में लीन चैतन्य प्राय : अचेतन होकर कृष्णमय हो जात थे। तभी श्रीवत्स, मुरारीगुप्त और अद्वैतानंद जैसे वैष्णव संत इन्हें चैतन्य महाप्रभु के नाम से संबोधित करने लगे।

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नदिया में कृष्णभक्त चैतन्य के कई मंदिर और वैष्णव मठ हैं। भागीरथी नदी के तट पर अनेक पवित्र घाट हैं, जिन पर स्नान करने से पुण्य प्राप्त होता है। यहीं मायापुर में ‘ इस्कान ‘ संस्था ने भव्य चंद्रोदय मंदिर का निर्माण किया है, जो दर्शनीय है।

यात्रा मार्ग

नदिया पहुंचने के लिए हावड़ा से रेललाइन है। कृष्णानगर से गौरागपुल पार कर सड़क से नदिया पहुंचते हैं। जिला मुख्यालय के रूप में विकसित नदिया शहर में अनेक होटल, अतिथि निवास और धर्मशालाएं हैं।

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