सिद्धि विनायक : मुंबई का यह पावन धाम पूर्ण करता है मनोकनाएं

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siddhi vinaayak : mumbee ka yah paavan dhaam poorn karata hai manokanaenसिद्धि विनायक: यह प्रसिद्ध गणेश मंदिर मुंबई के प्रभादेवी इलाके में अवस्थित है। पूरे महाराष्ट्र विशेषकर मुंबई में इसकी अत्यधिक मान्यता है। यह मंदिर लगभग 200 वर्ष पुराना है, परंतु वर्तमान में इसे सुंदर कलात्मक रूप दे दिया गया है और भक्तों हेतु अनेक सुविधाएं प्रदान की गई हैं। मुंबई तथा आसपास के निवासी इसका दर्शन लाभ हमेशा करते ही रहते हैं। मंगलवार को यहां अधिक भीड़ होती है। ऐसी मान्यता है कि यहां मांगी गई सभी इच्छाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। यहां एक बड़ा चांदी का मूषक प्रांगण में अवस्थित है और भक्तगण अपनी इच्छाएं इसके कान में भी कहते हैं।

धार्मिक कथा

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भगवान विष्णु असुर मधु व कैटभ का संहार करके सिद्धि विनायक की मूर्ति एक पहाड़ी इलाके में स्थापित की थी, जो अष्ट विनायकों में गिनी जाती है। अत : मुंबई स्थित सिद्धि विनायक भी उसी का एक बृहत रूप हैं, जिसमें मूर्ति के अंदर कुछ विशेषताएं सम्मिलित की गई हैं। जैसे ये मूर्ति चतुर्भुजी बनाई गई है और रिद्धि तथा सिद्धि की मूर्तियां मुख्य गणेश मूर्ति के कंधों के आस – पास स्थापित की गई हैं। मूषकों की संख्या भी अधिक है, क्योंकि कई मूषक भक्तों ने मंदिर में चढ़ाए हैं। इसमें एक मूषक काफी बड़ा व संपूर्ण चांदी का बना है।

तीर्थस्थल का उल्लेख 

पहले यह मंदिर छोटा था और गर्भगृह के ऊपर जो शिखर था, उस पर 1500 किलोग्राम का एक भारी कलश सुशोभित था, जो सोने की पालिश युक्त था। जब मंदिर का विस्तार किया गया तो इस कलश को पवित्र मान कर दर्शन हेतु प्रांगण में रख दिया गया है। गणेश दर्शन के साथ भक्त इसका भी दर्शन करके शीश झुकाते हैं। मंदिर का विस्तार एक विशाल भव्य पांच मंजिला मंदिर के रूप में किया गया है, जिसमें गर्भगृह के ऊपर एक बड़ा शिखर बनाया गया है और उसके पास छोटे – छोटे अनेक शिखर बनाए गए हैं। मंदिर की कलात्मकता देखते ही बनती है। इसकी पांचों मंजिलों पर पृथक् – पृथक् कार्य होते हैं। विस्तार के समय मंदिर के मूल गर्भ को छुआ तक नहीं गया है और उसकी पवित्रता का पूरा ध्यान रखा गया। गर्भगृह में तीन द्वार हैं। जहां से यात्री दर्शन हेतु आते – जाते रहते हैं। मूर्ति के समक्ष एक बड़ा सभा हॉल है, जिसमें भक्तगण बैठकर आराधना करते हैं। प्रसाद का नारियल फोड़ने हेतु भी एक विशेष व्यवस्था की गई है। मुख्य मंदिर के चारों ओर सुंदर दुकानें हैं, जो गणेश से संबंधित मूर्तियां आदि ही बेचती हैं। बाहर से भक्तगण एक रेलिंग से कतार में प्रवेश करते हैं, जिससे भीड़ होने पर भी दर्शन हो जाते हैं। प्रसाद , नारियल आदि की दुकानें बाहरी प्रांगण में हैं। श्रद्धालु नंगे पैर ही घर से चलकर प्रात : मंदिर की आरती में सम्मिलित होते हैं।

यात्रा मार्ग

मुंबई भारत के हर बड़े नगर से वायु, रेल व सड़क द्वारा जुड़ा है।

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