तिल के शक्तिशाली तांत्रिक व आयुर्वेदिक प्रयोग: शांति व बिल्ली के कांटने पर प्रभावी

0
661

तिल की प्रकृति मूल रूप से गर्म तर होती है। यह शरीर के मांस में वृद्धि करता है और मुख में तेज वृद्धि भी करता है। पेट साफ करने में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

तिल के शक्तिशाली तांत्रिक व आयुर्वेदिक प्रयोग

इसके सेवन से स्त्रियों का मासिक – धर्म ठीक प्रकार से होने लगता है और उनके दूध में वृद्धि होती है ।

Advertisment

तान्त्रिक प्रयोग

शान्ति कार्य के लिये- हवन – सामग्री में तिल मिलाकर हवन ( यज्ञ ) करने से सुख – शान्ति प्राप्त होती है ।

पीलिया झाड़ने के लिये- काँसे की एक कटोरी लेकर उसमें तिल का तेल भर लें और फिर रोगी को बैठाकर उसके सिर पर उस कटोरी को रखकर एक हाथ से पकड़े रहें तथा दूसरे हाथ में कुशा लेकर उसे तेल में घुमाते रहें । अब निम्नलिखित मंत्र को ( बोल – बोल कर ) इक्कीस बार पढ़ें-

ॐ नमो वीर बैताल इसराल

नाहर सिंह कहे तु देव खादीं

तू बादी पीलियां कूँ भिदाती कारे

झाडै पीलिया रहे न एक निशान

जो कहीं रह जाये तो हनुमंत की आन

मेरी भक्ति गुरु की शक्ति

फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा

इस प्रकार से यह प्रयोग सात दिन तक करना चाहिये , इससे पीलिया का रोग पूर्णत : दूर हो जाता है ।

बिल्ली के काटने पर- यदि बिल्ली काट ले तो उस काटे गये स्थान पर काले रंग के तिलों को पानी में पीसकर लेप कर दें , साथ ही , पीड़ित व्यक्ति को पोदीना की कुछ पत्तियाँ चबाने के लिये दें ऐसा करने से बिल्ली का विष दूर हो जायेगा ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here