विश्वास ही आस्था का आधार होता है। विश्वास नहीं तो आस्था क्षण मात्र के लिए टिक नहीं सकती है, इसलिए भक्ति पद पर चलने के लिए ईश्वरीय सत्ता के प्रति पूर्ण आस्था का भाव होना अनिवार्य है। आस्था का बीज तब तक अंकुरित नहीं हो सकता है, जब तक विश्वास का भाव उसमें समाहित नहीं हो। अब हम इसी विश्वास के आधार पर प्राण संकट टालने का मंत्र हम आपको बताने जा रहे हैं।
मंत्र है-
श्रवण सुजसु सुनि आयऊ, प्रभु भंजन भवभीर।
त्राहि-त्राहि आरति हरन, सरन सुखद रघुबीर।।
मंत्र प्रयोग की विधि-
यह मंत्र बहुत ही प्रभावशाली है। श्री राम के प्रति पूर्ण आस्था रखकर इस मंत्र का प्रयोग करें। नि:संदेह सफलता मिलेगी। राम नवमी के दिन इस मंत्र को प्रात: काल से अगले सूर्योदय तक निरंतर जपना होता है। इस मंत्र के प्रयोग से प्राणों पर आए हुए संकट को नष्ट कर लिया जाता है। इस मंत्र जप से पूर्व गण्ोश जी का स्मरण कर पूजन शुरु करना श्रेयस्कर होता है। पूर्ण भक्तिभाव से श्री राम को अंत:करण में धारण कर इस मंत्र का जप करने से मृत्यु का संकट निश्चित रूप टल जाता है। संशय का भाव रखने वालों के लिए कहीं मुक्ति नहीं है।