परमात्मा सत्यस्वरूप, सुखदाता, आनंददाता आदि गुणों का वाहक व रक्षक है। वह मनुष्यों पर ऐश्वर्य की वर्षा करने वाला है। वह हमें अध्यात्म तथा पदार्थ विद्याओं का दान देकर हमारी सर्वांगीण उन्नति करता है।
हम परमात्मा से प्रार्थना करते हैं कि वह अपने आनंद रस की धाराओं को हम पर प्रवाहित करे जिसमें स्नान कर हम तृप्त हो सकें। परमात्मा हमारे प्राणों की सहचर आत्मा के लिए आनंददायक हो। परमात्मा अपने ओज से हमारी आत्मा, मन, बुद्धि आदि को धारण करे जिससे हमारे समस्त दुःख, दुर्गुण व दुर्व्यसन दूर हो जाएं और हम सब सत्य विद्याओं, गुणों और अभीष्ट पदार्थों को प्राप्त होकर सुख व संतोषप्रद जीवन व्यतीत कर सकें।
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प्रस्तुतकर्ता मनमोहन आर्य