एकाक्षी नारियल और माता लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए तंत्र साधना, मिलेगा अतुल्य धन-वैभव

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नारियल से सभी परिचय है, लेकिन एकाक्षी नारियल के नाम से अधिकांश लोग शायद अनभिज्ञ होंगे। वास्तव में एकाक्षी नारियल भी नारियल ही होता है, बस उसकी रचना में थोड़ी भिन्नता होती है, जिसकी वजह से उसे एकाक्षी नारियल कहा जाता है। एकाक्षी नारियल का धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व होता है।

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इस नारियल को तोड़कर प्रसाद के रूप में ग्रहण नहीं किया जाता है, बल्कि इसका पूजन करने की परम्परा है। इसके पूजन से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। आमतौर नारियल के हर फल पर जटा उतारने के बाद टहनी की ओर तीन काले बिन्दु दिखते हैं। माना जाता है कि इनमें से दो बिन्दु नेत्रों के प्रतीक होते हैं, जबकि एक मुख का प्रतीक माना जाता है। नारियल फल मानव के चेहरे से बहुत कुछ मिलता – जुलता होता है। जिस नारियल में तीन नहीं मात्र दो बिन्दु पाये जाते हैं यानी उस पर दो नेत्रों की जगह एक नेत्र और एक मुख होता है। इस प्रकार के नारियल को एकाक्षी नारियल कहा जाता है। तंत्र साधना में इस प्रकार के फल को एकाक्षी नारियल कहा जाता है। एकाक्षी का अर्थ होता है कि एक आंख वाला। तंत्र साधना में इसका विशेष महत्व माना जाता है।


साधारणतया नारियल का प्रयोग पूजन-अर्चन में करने की परम्परा रही है। पूजन में इस बात का सदैव ध्यान रखना चाहिए कि नारियल टूटा-फूटा नहीं होना चाहिए। पूजन के बाद ही उसे तोड़कर प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है, लेकिन एकाक्षी नारियल प्रसाद के लिये नहीं, बल्कि केवल पूजन के लिये प्रयुक्त होता है और इसलिये उसे तोड़ना ही नहीं चाहिये। पूजन के पश्चात भी इसे तोड़ना नहीं चाहिए। एकाक्षी नारियल बहुत ही भाग्यशाली व्यक्तियों को प्राप्त होता है, इसलिए इसे बहुत ही संभाल कर रखना चाहिए। एकाक्षी नारियल जब भी मिले, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मीजी का ध्यान करते हुये उसे घर ले आयें और किसी पवित्र स्थान में रख दें। वैसे ही पूजा घर में रखना ही श्रेयस्कर माना जाता है। बाद में जब भी कोई शुभ – मुहर्त आये तो उसकी पूरे विधि – विधान के साथ में पूजा करें। अगर एकाक्षी नारियल किसी ऐसी जगह पर है, जहां से आप बाद में शुभ मुहूर्त में प्राप्त कर सकते हैं, तो उसे वहीं रहने दें और फिर किसी शुभ – मुहूर्त में ले आयें।

तांत्रिक प्रयोगों के लिये अमृत – योग, सिद्ध – योग, रवि – पुष्य योग, गुरु – पुष्य योग आदि में से कोई शुभ मुहूर्त हो होना चाहिये। अगर इनमें से कोई शुभ मुहूर्त न मिल पा रहा हो और शीघ्र ही आवश्यकता पड़ रही हो तो किसी विद्बान ब्राह्मण से कोई अन्य शुभ मुहूर्त पूछ लें। जिस घर में एकाक्षी नारियल की पूजा होती है, वहां स्वयं माता लक्ष्मीजी सदैव निवास करती हैं। माता लक्ष्मीजी का तात्पर्य है धन – सम्पदा, मान – सम्मान, सुख – समद्धि, यश – प्रसिद्धि, उत्तम स्वास्थ्य, गुणवान सन्तान , पारिवारिक शान्ति आदि का वास रहता है। साधक को सभी लौकिक सुखों की प्राप्ति होती है ।

एकाक्षी नारियल की तांत्रिक पूजन विधि

जब कोई शुभ मुहूर्त हो तो प्रात : काल ही स्नान करके शुद्ध स्थान पर आम की लकड़ी का आसन ( पीढ़ा ) रखें। उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछायें। फिर थाली में एकाक्षी नारियल को रखें। उस पर गंगाजल या शुद्ध जल छिड़क कर उसे स्नान करायें और साफ कपड़े से पोंछ दें। फिर उसे उस लाल कपड़े पर रख दें।

उसे रखते समय यह ध्यान रहे कि नारियल में बना हुआ छोटा बिन्दु ऊपर और बड़ा बिन्दु नीचे की ओर ही रहना चाहिये। फिर अपने मन में यह भावना लाये कि यह नारियल नहीं है, बल्कि साक्षात लक्ष्मीजी की प्रतिमा है। उस पर लाल चन्दन या सिन्दूर चढ़ायें, पुष्प – अक्षत अर्पित करें, धूप – दीप दें, कोई मीठा नैवेद्य अर्पित करें और कोई मुद्रा चढ़ाये । इसके पश्चात लक्ष्मीजी का स्तवन पूजन करते हुये मंत्र जप करें। मंत्र निम्न लिखित है-

ॐ श्रीं श्रियै नमः

मंत्र जप के पूर्व ही यह संकल्प कर लें कि मैं एकाक्षी नारियल रूपी लक्ष्मी – प्रतिमा की पूजा – प्रसन्नता के लिए इतनी संख्या में माला जप करूंगा। फिर उतनी ही माला जप करें। यहां ध्यान रखने की बात यह है कि जप संख्या इतनी अधिक निर्धारित नहीं कर देनी चाहिये, जिसे पूरा ही नहीं किया जा सके, बल्कि अपनी सुविधा के अनुसार हो जप संख्या का निर्धारण करना चाहिये। प्रथम दिन मंत्र की जप संख्या पूरी हो चुकने पर वही मंत्र पढ़ते हुये 21 आहुतियां देकर हवन भी करना चाहिये। उसके बाद में निम्न श्लोक को मात्र एक बार पढ़कर विष्णु भगवान का स्तवन भी करना चाहिये।

शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजम्,

प्रसन्नवदनं ध्यायेत्सर्वविघ्नोपशान्तये । ।

व्यासं वसिष्ठनप्तारं शक्तेः पौत्रमकल्मषम्,

पराशरात्मजं वन्दे शुकतातं तपोनिधिम् । ।

व्यासाय विष्णुरूपाय व्यासरूपाय विष्णवे,

नमो वै ब्रह्मनिधये वासिष्ठाय नमो नमः । ।

अचतुर्वदनो ब्रह्मा द्विबाहुरपरो हरिः,

अभाललोचनः शम्भुर्भगवान् बादरायणः । ।

इसके पश्चात अपनी सामथ्र्य के अनुसार पांच – सात बच्चों को को भोजन कराकर कुछ दक्षिणा दें। उसके बाद में उस नारियल को ( आसन वाले कपड़े सहित ) किसी थाली या तश्तरी में रखकर अपने पूजा घर में सुरक्षित रख देना चाहिये। फिर प्रतिदिन उसकी सिन्दूर, पुष्प और धूप – दीप से पूजा करते रहें। यथासम्भव कभी – कभी उस पर कोई मुद्रा भी चढ़ाते रहें। इस प्रयोग को करते रहने से धन – सम्पदा, सुख – समृद्धि , स्वास्थ्य आदि में निश्चित ही वृद्धि होती है।

यहां रखें एकाक्षी नारियल, ये सावधानी बरतें

एकाक्षी नारियल को तिजोरी में, अन्न के भण्डार में,अलमारी में, घर में बने हुये पूजा – स्थान पर देव प्रतिमाओं के साथ में कहीं भी रख सकते हैं, लेकिन इसको ऐसे स्थान पर रखें जिससे इसकी प्रतिदिन पूजा होती रहे, इसलिये इसे अपने घर के पूजा – घर में रखना ठीक है। इस नारियल को अपने घर के आलावा व्यापारिक प्रतिष्ठान के पूजा घर में भी रखा जा सकता है। निषेध यह है कि कोई भी अपवित्र व्यक्ति उस नारियल को न छुयें। आप भी स्नान आदि किये बिना उस नारियल को स्पर्श न करें। बिना स्नान किए नारियल को स्पर्श करना अनुचित होता है, इसलिए यह सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

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