सत्संग विवेक का जन्मदाता है- श्रीमहंत धर्मेन्द्र दास जी महाराज

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लखनऊ। पुरानी सब्जी मंडी चौक में चल रही श्रीमद भागवत कथा का समापन करते हुये कथा व्यास पंडित ईशान अवस्थी ने सुदामा चरित्र की कथा श्रवण कराकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सुदामा प्रसंग की चर्चा करते हुये कहा कि जो भगवान को सच्चे मन से याद करता है। भगवान उसे एक दिन दर्शन देते है उसका कल्याण करते है। सात दिनों तक भगवान श्री कृष्णजी के वात्सल्य प्रेम, असीम प्रेम के अलावा उनके द्वारा किये गये विभिन्न लीलाओं का वर्णन कर वर्तमान समय में समाज में व्याप्त अत्याचार, अनाचार, कटुता, व्यभिचार को दूर कर सुंदर समाज निर्माण के लिए युवाओं को प्रेरित किया।
कथा में मुख्य अतिथि के रूप में उदासीन अखाड़े के श्री महंत श्री श्री 108 श्री धर्मेंद्र दास जी महाराज व पार्षद अनुराग मिश्रा अन्नू ने कथा व्यास को सम्मानित किया। बाद में श्रीमहंत धर्मेंद्र दास जी ने भक्तो को आशीर्वचन तथा उद्बोधन में कहा कि जीवन में सत्संग की अति आवश्यकता होती है। सत्संग के बिना मनुष्य का जीवन अधूरा है। सभी महापुरुषों ने भी सत्संग की महिमा का बखान किया है। उन्होंने कहा कि गोस्वामी जी कहते है कि सत्संग विवेक का जन्मदाता है। सत्संग का अर्थ है ईश्वर के संग होना।

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