उल्लू का तांत्रिक प्रयोग, सिद्ध होते हैं मनोरथ

2
6325

उल्लू को हमेशा से एक रहस्यमयी पक्षी माना जाता रहा है। यह माता लक्ष्मी का वाहन है। इसका प्रयोग तंत्र साधनाओं में हमेशा से होता रहा है। उल्लू के पंख आम तौर पर जंगलों में गिरे हुए प्राप्त होते हैं। आम तौर पर धारणा है कि उल्लू का घर में पालना नहीं चाहिए।

यह भी पढ़ें- उल्लू देता है भविष्य का संकेत, तंत्र क्रियाओं में होता है उपयोग

Advertisment

उल्लू रात्रि में दिखने वाला पक्षी है और इसका प्रमुख भोजन चूहा होता है। मान्यता यह है कि उल्लू को किसी भी संकट का पूर्वानुमान हो जाता है, इसलिए इसे ‘अपशकुन’ का प्रतीक भी माना गया है। तंत्र क्रियाओं में तो उल्लू की विशिष्ट भूमिका देखी जाती रही है, इसीलिए तांत्रिक तंत्र शक्तियों के लिए अक्सर उल्लू का उपयोग करते रहे हैं। प्राचीन काल में मौसम का हाल जानने के लिए भी उल्लुओं का उपयोग किया जाता था। उल्लू से सम्बंधित कुछ तंत्र साधनाए हम आपको बताने जा रहे हैं-

प्रेत – दोषों का नाश करने के लिये प्रयोग

उल्लू के दाँये पंख को उसका धूप – दीप आदि से पूजन करें। फिर निम्नलिखित मंत्र का 1008 बार जाप करें – ॐ नमो कालरात्रि। फिर इसी मंत्र का जाप करते हुये इसे किसी ताबीज में बन्द करके पीड़ित व्यक्ति के गले में पहना दें तो उससे भूत – प्रेत आदि के समस्त दोष दूर हो जाते हैं।

ग्रहों का दुष्प्रभाव दूर करने के लिये तंत्र

उपरोक्त विधि से तैयार किये गये ताबीज को पीड़ित व्यक्ति की दाहिनी भुजा में बाँध देने से दुष्ट ग्रहों का दुष्प्रभाव दूर हो जाता है।

व्यापार बढ़ाने के लिये

उल्लू की पूँछ के पंखों को किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी, दशमो या अमावस्या को लेकर आयें। फिर उनका धूप – दीप आदि से मनोभाव से पूजन करें और उनको किसी ताबीज में बन्द करके अपने दाँये हाथ में बाँधे तो व्यापार में बहुत सफलता प्राप्त होती है ।

पत्नी को वश में करने के लिये तंत्र

पत्नी उसके वश में न रहती हो तो वह पुरुष  किसी भी महीने की  सप्तमी, नवमी या पूर्णिमा को प्रात: काल ही उल्लू के सिर के पंखों को लेकर आये। फिर उनका धूप – दीप आदि से मनोभाव से पूजन करके उनको सोने के ताबीज में बन्द करके अपने दाहिने हाथ पर बाँध ले। इससे धीरे – धीरे पत्नी से प्रेम – भाव बढ़ने लगता है और झगड़े समाप्त हो जाते हैं।

बुद्धि बढ़ाने के लिये

कार्तिक मास की पूर्णमासी के दिन सूर्योदय से पहले ही उल्लू के पेट के पंखों को ले आयें। फिर उनका धूप – दीप आदि से पूजन करके उनको सोने के ताबीज में बन्द करके हाथ में बांध दें ( पुरुष हो तो उसके दाहिने हाथ में बाँधे और नारी हो तो उसके बाँये हाथ में बाँधे )। ऐसा करने से धीरे – धीरे बुद्धि का विकास होने लगता है ।

मिरगी दूर करने के लिये तंत्र क्रिया

उल्लू के ग्यारह पंख और एक सफेद रंग का सूती कपड़ा लाकर रख लें। फिर इन पंखों को एक – एक करके जलायें और उनके धुंये को उस सफेद कपड़े पर एकत्रित करते रहें। फिर उस कपड़े को लपेटकर उसकी बत्ती बनाकर रख लें। फिर शनिवार के दिन प्रात : काल इस बत्ती को पीड़ित व्यक्ति के हाथ में बाँध दें ( परुष हो तो उसके दाहिने हाथ में बाँधे और महिला हो तो उसके बाँये हाथ में बाँधे )। इससे मिरगी ( मृगी ) की बीमारी धीरे – धीरे ठीक होने लगती है।

मान्यता-कोई उल्लू किसी के घर पर बैठना प्रारम्भ कर दे तो वह शीघ्र ही उजड़ जाता है। यदि किसी घर की छत पर बैठकर बोलता है तो उस घर के स्वामी या परिवार के सदस्य की निश्चित रूप से मृत्यु होती है। यदि किसी के दरवाजे पर उल्लू तीन दिन तक लगातार रोता है तो उसके घर में डकैती पड़ती है।

उल्लू दिखना और उसके अर्थ 

यात्रा में उल्लू की आवाज और दर्शन बायों तरफ ही शुभ रहा करते हैं । प्रवासी के पीछे की तरफ जाना भी काम में सफलता का सूचक है, किन्तु इसका दाहिनी तरफ दिखना और आवाज करना अशुभ रहता है । संस्कृत में धूक कहते हैं । रात में यह पक्षिराज माना जाता है । दिन में इसे दिखाई नहीं देता। यदि यह अपने घोंसले से निकल आये तो कौवे इसे बहुत परेशान करते हैं। यह कई तरह की आवाजें करता है । अनेक बार तो यह ऐसे बोलता है , जैसे कोई बच्चा रो रहा हो । लोक विश्वास के अनुसार यह उजाड़ में रहता है, इसलिए यह सूनापन चाहता है । रात्रि में यात्रा कर रहे व्यक्ति कोचर, उल्लू और सियारी के शकुन ही अधिकतर हुआ करते हैं। यदि कोई प्रवास कर रहा व्यक्ति अपनी बायीं को देखता है अथवा उसकी आवाज सुनता है तो कार्यसिद्धि की सूचना होती है। इसके विपरीत अर्थात् दाहिनी तरफ बोलने पर विफलता सूचना देता है, पीठ पीछे बोलने पर उत्तम और सामने बोलने पर अशुभ फल देता है। यह जब ‘ हुम – हुम ‘ ऐसी आवाज करता है तो दूषित नहीं होता क्योकि इस प्रकार की आवाज करने पर यह संभोग का इच्छुक होता है। सामान्यतया उल्लू का घर पर बैठना अशुभ माना जाता है। सामान्यतया इसलिए कि कारण विशेष से बैठना एक बात है और भावी का अनुमान लगाकर बैठना दूसरी बात । भावो का अनुमान कुछ पशु – पक्षियों को हो जाता है और इस परिज्ञान के कारण वे जब कोई चेष्टा या व्यवहार करते हैं तो शकुन के निमित ग्राहा होते हैं अन्यथा नहीं । मान लीजिए कोई ऐसी जगह है जहा बैठकर वह अपने भोज्य जीवों को आसानी से देख लेता है । अथवा जहां मिल जाते हैं तो ऐसी स्थिति में केवल उसके बैठने का हो दोष लगता है। यदि किसी घर की छत पर बैठकर यह बोलता है तो उस ग्रह में गृहपति या किसी अन्य पारिवारिक जन को मृत्यु होती है । एक सप्ताह से अधिक समय तक यदि यह घर की मुंडेर पर बैठता है तो घर के विनष्ट अथवा नष्ट हो जाने की सूचना देता है । तीन दिन तक यदि उल्लू दरवाजे पर बैठकर रोता है तो चोरी होने की प्रबल आशंका होती है । इसके दोध को शान्ति के लिए रात्रि में मांस की बलि देनी चाहिए। उल्लू दिन में किसी भी दिशा में, किसी भी तरफ बोलता है तो अशुभ को हो सूचना देता है ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here