उपासना से प्राप्त आनंद

0
453

वेद विचार

परमात्मा सत्य, चित्त और आनंदस्वरूप होने से सुख व आनंद से भी युक्त है। वह आनंद-रस का कभी समाप्त न होने वाला स्रोत है। हमें जीवन में परमात्मा के आनंद की आवश्यकता होती है जो उसके सत्यस्वरूप को जानकर सत्य विधि से उपासना अर्थात् योगाभ्यास करने से प्राप्त होता है।

उपासना से प्राप्त आनंद रस हमारे यज्ञमय जीवन में व्याप्त होकर उसे यशस्वी बनाता है। यही जीवन सभी विद्वानों व बुद्धिमान मनुष्यों के लिए प्राप्तव्य है।

Advertisment

-प्रस्तुतकर्ता मनमोहन आर्य।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here