इस साल महाशिवरात्रि कब, पूजन क्यों जरूरी

0
2247

महाशिवरात्रि के व्रत-पूजन के प्रभाव से महापातक नष्ट हो जाते है। सहज प्रसन्न होने वाले देवों के देव महादेव का इस दिन जो भी व्यक्ति पूजन-अर्चन करता है। उसके पाप नष्टï हो जाते हैं। पुण्य कर्मों का उदय होता है। हिंदू धर्म में इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने का विधान है। भक्तगण दिनभर उपवास रखने के साथ अपनी योग्यता के अनुसार शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था।

महाशिवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस पावन पर्व में भोलेनाथ का पूजन- अर्चन व ध्यान करकेअतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। यह पावन पर्व जगत पिता भगवान शिव और जगत जननीमाता पार्वती को समर्पित है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव शादी के बंधन में बंधे थे। जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि इस दिन पूजा अर्चन करने से विशेष पुण्य मिलता है तो आइये जानते है इस वर्ष यह पावन पर्व कब है और पूजन का मुहूर्त क्या होगा।।

Advertisment
इस साल महाशिवरात्रि कब, पूजन क्यों जरूरी

हमारे पंचांग के मुताबिक, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 8 मार्च को रात में 9 बजकर 57 मिनट पर होगा और अगले दिन यानी 9 मार्च को 6 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी। हालांकि, भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व प्रदोष काल में होता है इसलिए 8 मार्च को ही महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा।

हम आपको बता दें कि हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मी माता पार्वती से भगवान शिव को पाने के लिए कठोरतम तप किया था और इसी दिन माता पार्वती की तपस्या सफल हुई थी। उनका विवाह भगवान शिव का साथ संपन्न हुआ था। महाशिवरात्रि का व्रत महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्त के लिए रखती हैं।

यदि श्रद्धालु इस दिन शिव कथाओं को सुनते है, शिव पुराण सुनते हैं तो भगवान शिव और माता पार्वती उन पर सहज ही प्रसन्न हो जाती है। आवश्यक यह है कि महाशिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठे और भगवान शिव और माता पार्वती को प्रणाम करके पूजा का संकल्प लें। इसके बाद गंगा जल मिलाकर पानी से स्नान करें।

महाशिवरात्रि : इसलिए रात्रि जागरण पुण्य कर्मों का उदय

मानसरोवर शक्तिपीठ की महिमा, कैलाश-मानसरोवर के दर्शन मात्र से दूर होते हैं कष्ट

 

शिवलिंग की पूजा करने से ही पार्वती−परमेश्वर दोनों की पूजा, धातु से बने शिवलिंग और प्राण प्रतिष्ठा ?

New Home

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here