चामुंडा देवी पीठ: यहाँ राक्षस चंड – मुंड का वध हुआ

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chaamunda devee peeth: yahaan raakshas chand – mund ka vadh hua चामुंडा देवी पीठ का मंदिर बाणगंगा के तट पर स्थित है और यह सुंदर तीर्थ स्थल है। श्मशान भूमि गंगा के दूसरे किनारे पर स्थित है। बाइस ग्रामों में श्मशान भूमि महाकाली चामुंडा के रूप में मय विद्या व सिद्धि का वरदायी क्षेत्र माना जाता है, जहां भूतनाथ भगवान आशुतोष शिव शंकर मृत्यु, शव विर्सजन व विनाश का रूप लिए साक्षात् चामुंडा मां के साथ विराजमान हैं। यह स्थल योगियों, साधकों व तांत्रिकों के लिए एकांत व शांत प्राकृतिक शोभायुक्त स्थान है। वर्तमान में तीर्थ यात्रियों हेतु अति सुंदर शांत स्थान है, जहां यात्री कई दिनों तक रुक सकते हैं। और यात्रा का भरपूर आनंद उठा सकते है। यह वही स्थल है, जहां राक्षस चंड – मुंड देवी से युद्ध करने आए व काली रूप धारण करके देवी ने उनका वध किया। अंबिका को भृकुटी से प्रादुर्भूत काली ने जब चंड – मुंड के सिर को उपहार स्वरूप भेंट किया तो अंबा ने वर दिया कि तुम संसार में चामुंडा नाम से प्रसिद्ध हो। पठानकोट से पपरोला जाने वाली छोटी लाइन से यात्री चामुंडा स्टेशन पहुंच जाते हैं , जहां से मंदिर मात्र चार किलोमीटर दूर है। सड़क मार्ग से यह कांगड़ा , धर्मशाला आदि से सीधा जुड़ा है।

उत्तर भारत की नौ देवियां: चामुंडा देवी पीठ मंदिर उल्लेख

मंदिर बड़ा लंबा और दो मंजिला है, जिसमें प्रथम तल पर ही मां की भव्य मूर्ति विराजमान है। मंदिर में एक लंबा हॉल है, जहां भक्त कतार में मां का दर्शन करते हैं। मूर्ति के ऊपर ही एक छोटा शिखर है तथा शेष छत सपाट ही है। नीचे की मंजिल में यात्री स्नान आदि करके आते हैं। प्रसाद मंदिर द्वारा ही विक्रय किया जाता है, जो शुद्ध होता है और कई दिनों तक ठीक बना रहता है।

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चामुंडा देवी पीठ के अन्य दर्शनीय स्थल

  • शंकर मंदिर : मुख्य मंदिर के पीछे गहरी गुफा में एक शंकर मंदिर है, जिसमें एक बार में केवल एक भक्त ही प्रवेश कर पाता है। यह पाताल मंदिर दर्शनीय है।
  • सरोवर : मंदिर प्रांगण में ही एक बड़ा सुंदर सरोवर है, जिसमें बाणगंगा से स्वच्छ जल आता रहता है। इसमें स्नान करना वर्जित है। केवल पूजा – अर्चना हेतु ही उपयोग में लाया जाता है।
  • संजय घाट : नव निर्मित घाट है, जिसमें बाणगंगा को नियंत्रित करके स्नान योग्य बनाया गया है। यहां यात्री सुगमता से स्नान आदि कर सकते हैं।
  • अन्य मंदिर : मंदिर प्रांगण के आसपास अनेक छोटे – बड़े मंदिर विभिन्न देवी – देवताओं के साथ अवस्थित हैं, जो सभी दर्शनीय हैं।

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